मेरा अस्त्र, मेरी ऊर्जा
मानवतायाः सेवा मम अस्त्रं, प्रकृतेः सेवा मम ऊर्जा। मानवता की सेवा कर्म ही मेरा अस्त्र हैं, प्रकृति की सेवा भावना…
मानवतायाः सेवा मम अस्त्रं, प्रकृतेः सेवा मम ऊर्जा। मानवता की सेवा कर्म ही मेरा अस्त्र हैं, प्रकृति की सेवा भावना…
माना कि यहाँ सब कुछ मोह माया ही है, तो अब क्या जीवन को यू ही जाने दे,अगर जीवन है…
अपने लेख का किताब हूँ मैं जिसमे स्याही भी मैं और लिखावट भी मैं I अपने सफर का किताब हूँ…