परिचय मेरा अस्त्र, मेरी ऊर्जा AbhishekJuly 23, 2024July 25, 2024 मानवतायाः सेवा मम अस्त्रं, प्रकृतेः सेवा मम ऊर्जा। मानवता की सेवा कर्म ही मेरा अस्त्र हैं, प्रकृति की सेवा भावना ही मेरी ऊर्जा हैं I माना कि यहाँ सब कुछ मोह माया ही है, तो अब क्या जीवन को यू ही जाने दे, अगर जीवन है तो क्यों है? कोई तो वजह होगी, मेरे जीवन का कुछ तो महत्तव होगा, उसने कुछ तो सोचा होगा, किताब के पन्नों में मेरे लिए भी तो कुछ लिखा गया होगा, क्यों भटक रहा हूँ मैं इधर उधर, अपने जीवन की वजह खोजने में, मेरे जीवन की वजह , मेरी राह, मेरी मंजिल, वो खुद वक्त आने पर मुझे दिखायेगा, पर क्या मैं तैयार हूँ उसके लिए, क्या मेरा तन और मन तैयार है, मंजिल सामने होगी, रास्ता भी पता होगा, पर क्या मैं उस रास्ते पर चल पाऊंगा। बस अपने आप को तैयार करना हैं उस युद्ध के लिए जब जब मेरा सामना इस युग के रावण से होगा I
मानवता की सेवा कर्म माना कि यहाँ सब कुछ मोह माया ही है, तो अब क्या जीवन को यू ही जाने दे,अगर जीवन है…
किताब हूँ मैं अपने लेख का किताब हूँ मैं जिसमे स्याही भी मैं और लिखावट भी मैं I अपने सफर का किताब हूँ…
छूह ले आसमां मुझे छूह ले आसमां मुझे, अपनी नर्म किरणों से, सपनों की ऊँचाइयों को, छूने की इजाज़त दे दे। मेरे दिल…